Tuesday 28 November 2017

निर्माण कला मंच द्वारा 'धरती आबा' का मंचन 26.11.2017 को पटना में सम्पन्न

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स्थानीय प्रेमचंद रंगशाला में डिवाइन सोशल डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन द्वारा पांच दिवसीय नाट्योत्सव रंग ए विभूति कार्यक्रम के अंतर्गत रंग ए संजय का शुभारम्भ हुआ। आज पहले दिन निर्माण कला मंच,पटना द्वारा हृषिकेश सुलभ लिखित नाटक धरती आबा की प्रस्तुति के साथ नाट्योत्सव का पर्दा उठा। 




संजय उपाध्याय ने इसका निर्देशन किया है । यह नाटक स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के जीवन एवं कार्यो पर आधारित है बिरसा का जीवन संघर्ष का पर्याय है। पहले वह अपने मिशन स्कूल में मुंडाओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणियों का विरोध करता है और स्कूल छोड़ देता है। जंगल के निवासियों के जीवन के दुःख उसे लगातार परेशान करते हैं और वह मुंडाओं को नई जीवन पद्धति तथा सामाजिक आर्थिक व्यवस्था की ओर ले जाता है। धीरे-धीरे वह मुंडाओं के भीतर गुलामी से लड़ने के लिए साहस और भूख पैदा करता है। पहले से चला आ रहा सरदार मुंडाओं के आंदोलन को बिरसा विदेशी शासन से मुक्ति के संघर्ष में बदल देता है।सूखा,अकाल, भूख एवं महामारी से जूझते हुए ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती देने वाले मुंडाओं के नायक बिरसा की मृत्यु जेल में होती है। तमाम सरकारी अभिलेखों में दर्ज तथ्यों पर आज भी जनता विश्वास नहीं करती। धरती आबा नाटक बिरसा मुंडा के व्यक्तित्व और उलगुलान आंदोलन के माध्यम से हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के कई ऐसे पन्नों को खोलता है जिसमें समाज के अंतिम कतार में खड़े मनुष्य की चेतना शामिल है। जहाँ नाटक में अभिनेताओं ने बेहतरीन काम किया वहीं नेपथ्य में  संजय उपाध्याय का संगीत और विजेन्द्र कुमार टॉक की प्रकाश परिकल्पना ने प्रस्तुति को और प्रभावी बनाया। भाग लेने वाले कलाकारों में सुमन कुमार, आदिल रशीद, पप्पू ठाकुर, शारदा सिंह, उत्तम कुमार, कृष्णा कुमार,अभिषेक आनंद, रुबी खातून,विनीता सिंह, कुमार उदय सिंह, जय कुमार भारती, बृजेश शर्मा, ऋषिकेश झा, स्वरम उपाध्याय, सत्यप्रकाश, पुरुषोत्तम कुमार, शिवा कुंदन, आदित्य थे। मंच परे कलाकारों में हारमोनियम- मोहम्मद जानी, ढोलक-राजेश रंजन, मांदर- बनफूल नायक, बांसुरी-मोहम्मद नूर, मंच परिकल्पना-प्रबोध विश्वकर्मा ,रूप सज्जा-जितेंद्र कुमार जीतू का था।
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आलेख- राजन कुमार सिंह







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