Monday 27 November 2017

बिहार नाट्यकला प्रशिक्षनालय, पटना द्वारा नाटक 'आविष्कार जूते का' मंचित पटना में 26.11.2017 को

स्थानीय कालिदास रंगालय में बिहार आर्ट थिएटर द्वारा आयोजित उत्सव मौसम 2017 के दूसरे दिन बिहार नाट्य कला प्रशिक्षणालय की प्रस्तुति नाटक 'आविष्कार जूते का' का मंचन किया गया। रविंद्र नाथ टैगोर की कविता जूता आविष्कार पर आधारित इस नाटक का परिकल्पना एवं निर्देशन किया है अशोक घोष ने। राजा होबूराय एक बहुत ही मुर्ख राजा है, वह हमेशा अपनी तारीफ सुनना पसंद करता है । अपने विलास में सज-धज कर रहता है और दोनों पांव नग्न रहते हैं। अचानक एक दिन महारानी इस बात का उसे आभास दिलाती है और कहती है कि वह अपने मंत्रियों से पैरों को ढकने और उन्हें दूर से बचाने का कोई उपाय खोजने को कहे। राजा अपने राजमहल के सारे मंत्रियों और विद्वानों को इसके लिए आदेश देता है। सारे मंत्रीगण चिंतित हो जाते हैं और विद्वानों को भी बुलाते हैं पर उन में से कोई भी इस समस्या का हल नहीं निकल पाता। अंततः एक बूढा चर्मकार इस समस्या का हल निकालता है और जूते का आविष्कार करता है ।इसके लिए राजा उसे अपने राज्य का सबसे उच्च सम्मान चरणरत्न की उपाधि से सम्मानित करता है। भाग लेने वाले कलाकारों में रोशन कुमार पांडेय, आकांक्षा कुमारी, आयुषी, अभिषेक पांडेय, कुणाल सत्यम, मोहम्मद राज, राहुल कुमार, अभिषेक कुमार, आशुतोष कुमार झा,चंदन कुमार, दीपक कुमार सिंह, आदर्श सुगम, सोनू कुमार, प्रिंस श्री, समर्थ चौधरी, रवि रंजन सिंह, रवि आनंद, श्रीलाल देशमुख, मनीष कुमार, रवि आनंद, राजीव कुमार, श्रीलाल देशमुख, कृतिका गुप्ता, रवि आनंद, आकाश कुमार थे। मंच परे कलाकारों में मंच परिकल्पना-प्रदीप गांगुली,प्रकाश परिकल्पना-उपेंद्र कुमार,संगीत एवं ध्वनि- राहुल कुमार,रूप सज्जा- शशांक घोष का था।
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रिपोर्ट का आलेख - राजन कुमार सिंह

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