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Thursday 26 April 2018
Friday 13 April 2018
नाद द्वारा नाटक 'मृदंगिया' का मंचन 8.4.2018 को पटना में सम्पन्न
एक सर्वहारा वर्ग के परिवार की दु:ख भरी गाथा
Please click here to read the original script in English- http://biharidhamaka.blogspot.in/2018/04/naad-patna-staged-mridangiya-on-842018.html
नाटक एक मृदंग बजानेवाले के परिवार द्वारा भोगे गए सकंटपूर्ण जीवन की एक कहानी थी। एक विधवा महिला को दो ग्रामीणों अक्सर द्वारा सताया जाता है। वह एक मृदंगिया से शादी करने का एक साहसिक कदम लेती है। फिर से शादी करने के लिए अपने फैसले दो बुरे इरादे वाले युवक जो गरीब विधवा लड़की को परेशान करते थे, द्वारा पसंद नहीं किया जाता है। शादी के बाद काफी समय तक कोई शिशु जन्म नहीं लेता है और उनकी ज़िंदगी स्थिर सी हो जाती है। दोनो गुंडे ढोलकिया जोड़े की निराशा पर खुश हैं। लेकिन जल्द ही मृदंगिया की पत्नी गर्भवती हो जाती है और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है। दोनो गुंडे मृदंगिया के परिवार में उत्तराधिकारी के आगमन पर परेशान होते हैं । वे एक कुटिल योजना बनाते हैं और संगीतकार भक्तों की एक टोली के साथ हो जाते हैं जो नवजात शिशु को आशीष देने के लिए ढोलकिया के घर की ओर जा रहा था। भकित नृत्य के क्रम में सब सभी उत्सव में खोये रहते हैं तभी ये दुष्ट युवक शिशु को अपने कब्जे में लेकर चुपके से जहर दे देते हैं। शिशु की मृत्यु होते ही सभी दुख से विलाप करने लगते हैं। फिर भी, जब एक व्यक्ति को वहाँ आता है मृदंगिया की खोज करते हुए क्योंकि एक बूढ़े आदमी गांव में मृत्यु हो गई है और उन्हें अंतिम संस्कार के लिए ढोलकिया की आवश्यकता है। नाटक अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचता है जब मृदंगिया की पत्नी अपने मृत शिशु को गोद में लिए घोषणा करती है कि मृदंगिया गाँव के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करने हेतु बूढ़े व्यक्ति की अंतिम यात्रा में मृदंग बजाने जरूर जाएगा चाहे उसे इसके लिए अपने ही शिशु का अंतिम संस्कार छोड़ना क्यों न पड़े। और यह वास्तव में जाता है।
मोहम्मद जॉनी के निर्देशन को कलाकारों में से परिपक्व अभिनय से बल मिला। यद्यपि नाटक को अति-दुख से बोझिल बनने से बचाने के लिए और अधिक प्रयास किए जा सकता था। अभिनेताओं के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। लाइट बिना किसी विलम्ब के तुरंत और सही स्थान पर केंद्रित था और ध्वनि प्रणाली अच्छी तरह से काम किया। मृदंगिया ने एक परिपक्व कलाकार की तरह काम किया, जबकि सम्भवत: पहली बार अभिनय कर रहे थे मंच पर। मृदंगिया की पत्नी बनी रुबी खातून एक स्थापित अभिनेतत्री है जो सम्वाद अदाएगी और शारीरिक भंगिमा के माध्यम से अभिनय को निभाने में बिलकुल नहीं चूकीं। गुुुंडों की मुखाकृति और अभिव्यक्त भाव प्रभावशाली थे और अति-घुणित चरित्रों का निर्वाह करने के बावजूद दर्शकों द्वारा ताली बटोरने में सफल रहे। ग्रामीणों ने अपने पात्रों के साथ न्याय किया है। संगीत मोहम्मद जॉनी द्वारा मधुर निर्मित था और दर्शकों ने शुद्ध बिहारी लोक संगीत के स्वाद को चखने का जीभर कर आनंद लिया। मंच सज्जा और रूप सज्जा आवश्यकता के अनुरूप थे।
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आलेख- हेमन्त दास 'हिम'/ संजय कुमार
Thursday 12 April 2018
'जयशंकर प्रसाद की कहानी पर आधारित गुंडा' नाटक का मंचन 9.4.2018 को पटना में संपन्न
समाज और समकालीन समाज का गुंडा नन्हकू सिंह का ह्रदय हुआ उद्घाटित
स्थानीय रंगालय में निर्माण कला मंच एवं प्रवीण सांस्कृतिक मंच के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय 'रंगकर्मी प्रवीण स्मृति सम्मान समारोह' का समापन प्रवीण सांस्कृतिक मंच,पटना द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से विजयेन्द्र कुमार टॉक निर्देशित बहुचर्चित नाटक 'गुंडा' की प्रस्तुति के साथ हुआ। जयशंकर प्रसाद की कहानी का नाट्य रूपांतरण अविजित चक्रवर्ती के किया है। कहानी 18 वीं शताब्दी के जमींदार बाबू नन्हकूसिंह की है,जो अपने पिता की मृत्यु के बाद अपनी सारी जायदाद गरीबों में लुटा देता है। वो बहादुर हिम्मती,दयालु और कला प्रेमी व्यक्तित्व है। उसने प्रतिज्ञा की है कि वह कभी किसी स्त्री के नजदीक नहीं जाएगा बल्कि अकेला रहेगा। वो प्रसिद्ध नर्तकी दुलारी बाई का गाना तो सुनता है लेकिन उसके कोठे पर नहीं जाता। दुलारी बाई राजमाता पन्ना देवी के बचपन की सहेली है,तो दूसरी ओर राजमाता के लिए नन्हकूसिंह अपने हृदय में दया भाव रखते हैं। काशी चेत सिंह काशी के राजा हैं। सिराजुद्दौला के मृत्यु के बाद अवध का नवाब और जनरल वारेन हेस्टिंग काशी पर अधिकार जमाना चाहते हैं और इस काम में कुबरा मौलवी उसकी मदद करता है। एक दिन दुलारी बाई के कोठे पर नन्हकूसिंह और कुबरा मौलवी के बीच झड़प हो जाती है, जिसमें नन्हकू सिंह कुबरा मौलवी को बेइज्जत कर देता है। मौलवी बदला लेने के लिए गुस्से में निकलता है और अंग्रेज के पास पहुंचता है। मौलवी काशी पर हमला करने के लिए उन्हें राजी कर लेता है। अंग्रेज काशी पर हमला कर राजा चेत सिंह और उनकी माता को कैद कर लेते हैं। जब नन्हकू सिंह यह पता चलता है तो उसकी माता को छुड़ाने का निर्णय करता है। उसकी भिड़ंत अंग्रेज सैनिकों से होती है जिसमें उसकी मृत्यु हो जाती है। अंग्रेजों और समकालीन समाज की नज़र में एक गुंडा। यह नाटक अंतरराष्ट्रीय भारत रंग महोत्सव में अपनी सहभागिता पिछले वर्ष दर्ज कर चुकी है। किन्ही कारणों से इस बार की प्रस्तुति ढ़ीली-ढाली रही। नाटक का संगीत बेहतरीन होने के बावजूद प्रभाव छोड़ते-छोड़ते रह गई। सेट की भव्यता में कमी,नाटक में गति की कमी और नाटक पर नेपथ्य के कलाकारों के साथ निर्देशकीय पकड़ की कमी साफ रेखांकित की जा सकती थी। अपने अन्य प्रस्तुतियों की तुलना में यह नाटक अपने दर्शकों को निराश करनेवाली रही। अपने कथ्य और कुछ अभिनेता के दम पर नाटक दर्शकों को अंत तक टिकाने में कामयाब रही।
मंच पर भाग लेने वाला कलाकारों में अजीत कुमार,उत्तम कुमार, ब्रजेश शर्मा, महिमा सहाय, रूबी खातून, बीनीता सिंह, कुंदन कुमार, नीलेश्वर मिश्रा, राहुल सिंह, राहुल कुमार रवि,राहुल रंजन,रोहित चन्द्रा,मो0 आसिफ, नंदकिशोर नंदू थे।
मंच परे कलाकारों में संगीत- राजू मिश्रा, हारमोनियम- मो जॉनी, रोहित चन्द्रा, नाल-गौरव कुमार, तबला-रिंकू कुमार, प्रकाश संचालन-राज कपूर, सेट-उमेश शर्मा रंग शिल्प- अजित कुमार का था।
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आलेख- राजन कुमार सिंह
Wednesday 11 April 2018
Tuesday 10 April 2018
पूरा बिहार जगमगा उठा मार्च,2018 में अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय नाटक समारोहों से / राजन कुमार सिंह
बेगुसराय, भागलपुर, पूर्णिया, मसौढ़ी, पटना समेत कई स्थानों पर हुए जम कर मंचित हुए नाटक
मार्च महीने की शुरूआत ही रंगों के त्योहार होली से हुई। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय नाटकों से जगमगाता रहा बिहार का रंगमंच। ये महीना भी हाउसफुल रहा। जहाँ प्रेमचन्द रंगशाला,पटना में सोलह दिनों तक अनवरत होता रहा नाटकों का मंचन वहीं बिहार रंगमंच के तीर्थ कालिदास रंगालय में 5 मार्च को आर्ट एण्ड आर्टिस्टको, पटना ने डॉ प्रमोद कुमार सिंह लिखित प्रभात पाण्डेय निर्देशित 'सागर के किनारे' नाटक का मंचन किया। 7 को नाद, पटना द्वारा तीन दिवसीय 'नाद नाट्योत्सव' का पर्दा धमार फाउण्डेशन,पटना द्वारा 'बिहार विरासत' लोक वादन के साथ उठा ततपश्चात आयोजक दल ने डॉ अखिलेश कुमार जायसवाल लिखित मो जानी निर्देशित 'मृदंगिया', 8 को दि स्ट्रगलर्स, पटना ने कृष्ण अम्बष्ट लिखित राहुल कुमार राज निर्देशित 'बचाओ इसे' एवं एम्बिशन,पटना ने हरिशंकर परसाई लिखित बिनीता सिंह निर्देशित 'एक हसीना पाँच दीवाने', 9 को समापन रंग समूह,पटना ने मानव कॉल लिखित स्वरम उपाध्याय निर्देशित 'पार्क' के मंचन के साथ हुआ। 11 को द मिरर,पटना द्वारा रजनीश कुमार लिखित सत्यजीत केशरी निर्देशित 'वर्तमान का पोस्टमार्टम', 12 को बिस्तार,पटना ने शरद जोशी लिखित उज्ज्वला गाँगुली निर्देशित 'एक था गदहा उर्फ अलादाद खां',13 को न्यू जैसिका स्कूल ऑफ आर्ट,पटना ने भारतेन्दु हरिश्चंद्र लिखित नीरज कुमार निर्देशित 'अंधेर नगरी' का मंचन किया।इसी दिन दिनकर कला भवन,बेगूसराय में न्यू एज थियेटर एण्ड रेपट्री वर्कशॉप,बेगूसराय ने मिथिलेश्वर लिखित अवधेश सिन्हा द्वारा नाट्य रूपांतरित नाटक 'डायन' का मंचन अंकिता कुमारी के निर्देशन में किया। इधर कालिदास रंगालय में 18 को कला जागरण,पटना ने ममता मेहरोत्रा लिखित सुमन कुमार निर्देशित 'माधवी',19 को लक्ष्मी अपराजिता सेवा संस्थान, पटना ने राकेश कुमार लिखित बैधुबाला सिन्हा निर्देशित 'कटाक्ष', 20 को रंगम,पटना ने सआदत सहन मंटो लिखित संतोष कुमार उर्फ रास राज निर्देशित 'अकेली' का मंचन किया। 23 को दि स्ट्रगलर्स,पटना द्वारा आयोजित तीन दिवसीय 'स्ट्रगलर्स थियेटर फेस्टिवल' का पर्दा राग,पटना द्वारा अभिषेक चौहान लिखित रानू कुमार निर्देशित 'द कुरियर मैन' के मंचन के साथ उठा। 24 को आयोजक दल ने हबीब तनवीर लिखित रोशन कुमार निर्देशित 'चरणदास चोर', समापन आयोजक दल द्वारा ही ज्या पॉल सात्रो लिखित जे एन कौशल अनुवादित रजनीश कुमार निर्देशित 'मैन विदाउट शैडो' के मंचन के साथ हुआ साथ ही आई एम ए हॉल,पटना में अभिनव आर्ट्स,पटना ने गजानन माधव 'मुक्तिबोध' लिखित सुमन कुमार द्वारा नाट्य रूपांतरित,मणिकांत चौधरी निर्देशित 'समझौता' का मंचन किया। 24 को आलय, भागलपुर ने दुर्गा बाड़ी मसाकचक,भागलपुर में स्वदेश दीपक लिखित कुमार चैतन्य प्रकाश निर्देशित 'कोर्ट मार्शल', 26 को रंगमार्च, पटना द्वारा कालिदास रंगालय में संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से प्रेमचंद लिखित मृत्युंजय शर्मा द्वारा नाट्य रूपांतरित 'सुभागी' का मंचन नूपुर चक्रवर्ती के निर्देशन में हुआ। 27 मार्च (विश्व रंगमंच दिवस) को दिनकर कला भवन, बेगूसराय में मॉडर्न थियेटर फाउण्डेशन, बेगूसराय द्वारा भिखारी ठाकुर लिखित सुशीला कुमारी निर्देशित 'बेटी वियोग' का मंचन अंगिका भाषा में हुआ। इसी दिन सुधांशू रंगशाला, कला भवन पूर्णिया में कला भवन, नाट्य विभाग,पूर्णिया द्वारा दो दिवसीय 'विश्व रंगमंच दिवस नाट्योत्सव 2018' का पर्दा आलय,भागलपुर द्वारा स्वदेश दीपक लिखित कुमार चैतन्य प्रकाश निर्देशित नाटक 'कोर्ट मार्शल' के मंचन से उठा। दूसरे दिन आयोजक दल ने शूद्रक लिखित अमित झा निर्देशित 'मृच्छकटिकम' के मंचन से आयोजन का समापन हुआ। पुनः कालिदास रंगालय,पटना में 28 को लोक पंच, पटना द्वारा मिथिलेश्वर लिखित मिथिलेश सिंह नाट्य रूपांतरित एवं प्रवीण कुमार निर्देशित 'नुक्कड़ के पास वाली खिड़की',29 को डॉ ज्ञान चतुर्वेदी लिखित संजय कुमार सिंह द्वारा नाट्य रूपांतरित एवं निर्देशित नाटक 'मदर इंडिया' का मंचन हुआ। 30 को श्री मति गिरिजा कुँवर उच्च विद्यालय,गाँधी मैदान, मसौढ़ी में जागृति कला मंच,मसौढ़ी,पटना द्वारा तीन दिवसीय 'मसौढ़ी नाट्य महोत्सव', के पहले दिन नाद,पटना ने डॉ अखिलेश कुमार जायसवाल लिखित मो जानी निर्देशित नाटक 'मृदंगिया', एवं सात्विक फाउन्डेशन,जहानाबाद ने हरिशंकर परसाई लिखित अंकित कुमार निर्देशित 'एक हसीना पाँच दीवाने' की प्रस्तुति की। इसके बाद मगही फ़िल्म 'देवेन मिसिर' का प्रमोशन हुआ।दूसरे दिन हमनवा,पटना ने सआदत हसन मंटो लिखित शबाना आफरीन निर्देशित 'तोहफ़ा',एवं प्रयास,पटना ने मिथिलेश सिंह लिखित एवं निर्देशित नाटक 'दशरथ माँझी' का मंचन किया। समापन रंग समूह,पटना द्वारा बिहार के लोकगीतों पर आधारित 'लोक नृत्य' की प्रस्तुति के साथ हुई। इसका संयोजन कुमार उदय सिंह ने किया। 31 को दिनकर कला भवन, बेगूसराय में नटकिया,बेगूसराय द्वारा उदय प्रकाश लिखित आलोक रंजन द्वारा नाट्य रूपांतरित एवं निर्देशित नाटक 'तिरिछ' का मंचन हुआ।
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आलेख- राजन कुमार सिंह
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