Wednesday 22 November 2017

'जन-विकल्प,सीतामढ़ी' के कलाकारों द्वारा 'देसी मुर्गी बिलायती बोल' 22.11.2017 को पटना में मंचित


कालिदास रंगालय में जन-विकल्प, सीतामढ़ी के कलाकारों द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से अरुण कुमार श्रीवास्तव के निर्देशन में नाटक देशी मुर्गी बिलायती बोल का मंचन किया गया। टैगोर की इस कहानी का नाट्य-रूपांतरण मृत्युंजय शर्मा ने किया। आज की पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित युवावर्ग और अपने पति को परमेश्वर समझने वाली भारतीय महिला पर केन्द्रित यह नाटक अनाथबंधु और बिंध्यवासिनी पर केन्द्रित है। अनाथबंधु अपने चार भाईयों में दूसरा है। वहीं विंध्यवासिनी एक बड़े जमींदार घर की लड़की है। इन दोनों की शादी हो गई है और अनाथबंधु ससुराल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। उनका मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता। वो इस देश को छोड़ विदेश चले जाना चाहते हैं। उन्होंने कई नौकरियां भी छोड़ दी है। एक बार वो अपने ससुर राजकुमार बाबु का पैसा चुराकर विदेश चले जाते है, जिसका गुनाह बिन्ध्यवासिनी अपने उपर ले लेती है। समय बीतता है और एक दिन राजकुमार बाबु का पूरा परिवार हादसे का शिकार हो जाता है और वो अपने एकलौती बेटी को अपना लेते हैं। एक दिन तार आता है कि अनाथबंधु बैरिस्टरी पास करके वापस आ रहे हैं, तो उनके शुद्धिकरण के लिए राजकुमार बाबु पूजा-पाठ और अनुष्ठान का आयोजन करते हैं, ताकि उनके पाप को धो उनको अपनाया जा सके। लेकिन वह विदेश से एक नई लड़की के साथ विवाह करके आते हैं। सभी ठगे रह जाते हैं। इस कथ्य को पारंपरिक तौर पर मंच लाने की कोशिश निर्देशक ने की है। कथ्य को 70 के दशक के समय में हीं कहने की कोशिश की गई है। मंच पर कलाकारों में समीर रंजन, यूरेका किम, ज्ञान पंडित, सरिता कुमार, नीतिश प्रियदर्शी, रीना कुमारी, अभिषेक पाण्डेय, रौशन कुमार केशरी, गौतम कुमार, प्रग्यांशु शेखर और अदिति सिंह ने विभिन्न किरदारों को निभाया।  मंच परे कलककरों में प्रकाश परिकल्पना राजन कुमार सिंह , मंच परिकल्पना प्रदीप गांगुली ,वेश-भूषा एवं रूप-सज्जा सरिता कुमारी । प्रस्तुति में रौशन राज, राज पटेल, विक्की राजवीर आदि का सहयोग रहा। प्रस्तुति प्रभारी मृत्युंजय शर्मा थे।







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