Wednesday 24 January 2018

कथारंग - नाटक के कलाकार और प्रेस विज्ञप्ति

नोट- इस नाटक के चित्रों को उसकी समीक्षा और हिन्दी मे कथा-सार के साथ यहाँ ०पढ़िये-  http://dramapagesbiharidhamaka.blogspot.in/2018/01/blog-post_24.html







Sunday 21 January 2018

नाटक 'छरमतिया' के कलाकार, लेखक और विशिष्ट अतिथिगण

नाटक 'छरमतिया' के ढेर सारे चित्र, हिन्दी में कथा-सार और अंग्रेजी में समीक्षा यहाँ देखिये-   http://biharidhamaka.blogspot.in/2018/01/bhojpuri-play-chharamatiya-was.html













Thursday 18 January 2018

जन विकल्प सीतामढ़ी द्वारा "सपनों का मर जाना " का पटना में 18.1.2018 को सफल मंचन

अभिभावकों द्वारा कुचले गए सपनों के साथ जी रहे बच्चे
Read another report with many more photographs - https://biharidhamaka.blogspot.in/2018/01/jan-vikallp-sitamadhi-stages-sapno-ka.html





आज के मध्यमवर्गीय समाज की सबसे बड़ी सच्चाई का पूरी शिद्दत के साथ चित्रित करता यह नाटक एक सीख है उन लोगों के लिए जो कहने को तो बड़े हैं लेकिन उनका सोच दर-असल उन बच्चों से  भी छोटा है जिनके अरमानों की चिता जलाकर वो अपनी जरूरतों की रोटी सेंकना चाहते हैं। उन्हें यह समझना होगा कि उनका वास्तविक सुख बच्चों को उनकी स्वाभाविक प्रवृति को विकसित होते हुए उन्हें अपनी पहचान  कायम करते देखने में है न कि ज़माने की भेड़-चाल में शामिल होने में. 

जन विकल्प  सीतामढ़ी द्वारा मंचित सपनों का मर जाना की यह नाट्य प्रस्तुति देखी और कलाकारों के उम्दा कार्य से बेहद प्रभावित हुआ. मृत्युंजय शर्मा के लेखन में कसावट तो है ही वह इस बेहद संवेदनशील और प्रासंगिक मुद्दे की पूरी शिद्दत के साथ पड़ताल करने में भी सफल रहे और वह भी बिलकुल स्वाभाविक और रोचक ढंग से. युवा किन्तु सिद्धस्त निर्देशक राजन कुमार सिंह के द्वारा पात्र के कल्पना में प्रपोज करने का तरीका पसंद आया. उन्होंने नए अभिनेताओं से भी बेहतरीन काम ले लिया है. मुख्य अभिनेत्री विशेष रूप से प्रशंसा की पात्र है और उसकी नृत्य में प्रवीणता, वास्तविक सी भाव-भंगिमा देखते बनती थी. मुख्य अभिनेता क्रिकेट खिलाड़ी भी पूरी तरह से खड़े उतरे हैं. परंतु उस एक पात्र को एक ही नाटक में दो भिन्न चेहरेवाले कलाकारों द्वारा अभिनीत करवाना बहुत जोखिम भरा कार्य है, इस पर थोड़ा ध्यान देना पड़ेगा. क्रिकेट खिलाड़ी की माता और पिता ने उत्कृष्ट अभिनय करते हुए अभिभावकों के कशमकश को पूरी तरह से मंच पर उतार दिया. क्रिकेट खिलाड़ी का अनेक गर्लफ्रैंड रखनेवाला मित्र ने भी अति उत्तम अभिनय की मिसाल पेश की. बहन ने भी अच्छा काम किया. शिक्षक ने गम्भीरता को पूरी गरिमा के साथ निभाया. वेष-भूषा, मंच सज्जा, ध्वनि प्रभाव तो बिलकुल सटीक थे ही, प्रकाश परिकल्पना विशेष रूप से प्रशंसनीय थी. कुल मिलाकर यह प्रस्तुति एक ऐसी प्रस्तुति थी जिसकी छाप लोगों के दिलो-दिमाग तक लम्बे समय तक बनी रहेगी.  
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समीक्षक- हेमन्त दास 'हिम'

छायाचित्र - हेमन्त  'हिम'
प्रतिक्रिया भेजने हेतु ईमेल- hemantdas_2001@yahoo.com
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नीचे प्रस्तुत है प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित जानकारी-

बिहार आर्ट थियेटर द्वारा आयोजित 102 वीं अनिल कुमार मुखर्जी जयन्ती एवं 27 वां पटना थियेटर फेस्टिवल 2018 के पांचवें दिन 18.1.2018 को कालिदास रंगालय में जन विकल्प, सीतामढ़ी द्वारा मृत्युंजय शर्मा द्वारा लिखित हिन्दी नाटक सपनों का मर जाना... का मंचन युवा रंगकर्मी राजन कुमार सिंह के निर्देशन में किया गया।

यह नाटक एक मध्वर्गीय परिवार में पल रहे सपने और उसे पाने की जद्दोजहद के बीच उपजी हुई कठिनाईयों का चित्रण करता है। एक लड़का बादल जो क्रिकेटर बनना चाहता है। उसके पिता नन्दकिशोर बाबू किसी तरह से अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं और अपने इकलौते बेटे से अपेक्षा रखते हैं कि वो बड़ा होकर कोई नौकरी करेगा। दूसरी तरफ विद्यालय में प्रिंसिपल बच्चों को अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करता है। वहीं दूसरी तरफ स्कूल बच्चों को एक खुला आसमान देता है, जहाँ बादल अपने दोस्तों के साथ अपने सपनों का ताना-बाना बुनता है। उसकी दोस्त सपना डॉक्टर बनना चाहती है, जिसकी 11वीं में हीं शादी ठीक हो जाती है। दूसरी तरफ घर में बादल की बहन की भी शादी ठीक हो जाती है। ऐसे में वो आत्महत्या करने की बजाय अपनी परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाते हुए एक सपने की तरफ उड़ान भरने का संकल्प लेता है। 
इस नाटक का कथ्य हमारे पारिवारिक जीवन को समाज और राजनीतिक नजरिये से भी देखने का प्रयास करता है। युवा रंगकर्मी राजन दस कलाकारों के साथ इस कथ्य को कहने में कामयाब हैं। यह नाटक दर्शकों के मानस पटल पर उनके आस-पास चल रही घटना सा आभास देता है। मंच पर नवोदित लिली ओझा, राज पटेल, प्रग्यांशु वत्स, रौशन केशरी, नितीश प्रियदर्शी और वैशाली से निर्देशक ने अच्छा काम लिया है। वहीं अनुभवी यूरेका किम, दिपांकर शर्मा, रमेश कुमार रघु के साथ ज्ञान पंडित ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है।

मंच पर कलाकार थे-
राज पटेल, प्रग्यांशु वत्स, रौशन कुमार केशरी, नितीश प्रियदर्शी, लिली ओझा, यूरेका किम, ज्ञान पंडित, दिपांकर शर्मा, रमेश कुमार रघु एवं वैशाली।
नेपथ्य के कलाकार-
मंच परिकल्पना- प्रदीप गांगुली
प्रकाश संचालन - रवि वर्मा
वेश-भूषा - सरिता कुमारी
रूप-सज्जा - गोपाल पाण्डेय
नृत्य संयोजन - नूपुर चक्रवर्ती
संगीत संचालन - समीर रंजन
रंग सामग्री - संतोष राजपूत
फोटोग्राफी - राहुल सिंह
उद्घोषणा- अदिती सिंह
प्रस्तुति प्रभारी - दीनानाथ पाठक
प्रस्तुति नियंत्रक - सुरेश प्रसाद सिंह
प्रस्तुति सहयोग किया था अरुण कुमार श्रीवास्तव, रविचन्द्र पासवाँ, अविनाश झा, शंभु कुमार, रौशन राज, अर्पित शर्मा, रीना कुमारी, गौतम कुमार, राहुल राज,अभिषेक पांडेय,विक्की राजवीर, श्रेया, श्रृष्टि और कुमार पंकज। नाटककार थे मृत्युंजय शर्मा और राजन कुमार सिंह ने प्रकाश, परिकल्पना एवं निर्देशन का दायित्व निभाया था राजन कुमार सिंह ने














Tuesday 16 January 2018

नाटक 'आचार्य द्रोण' के कलाकार

प्रस्तुति - बिहार नाट्य प्रशिक्षनालय, पटना
स्थान- कालिदास रंगालय, पटना
दिनांंक- 16.1.2018
कथासार एवं पात्र परिचय- नीचे से एक पहले वाला चित्र देखें.











छायाचित्र- हेमन्त दास 'हिम'