Sunday 24 December 2017

Tuesday 12 December 2017

'देसी मुर्गी विलायती चाल' नाटक के कलाकार दिनांक 12 दिसम्बर'17

नोट: नाटक के अनेक साफ चित्र समीक्षा के साथ मेन पेज पर दिखेंगे एक-दो दिनों में. 
पहले हुए इस नाटक के शो की समीक्षा और चित्र मेन पेज पर पहले से हैं. कम्पूटर या वेब वर्जन पर बिहारी धमाका ब्लॉग खोलकर दाहिने कॉलम में दिये गये SEARCH THE BLOG के नीचे वाले बॉक्स में कीवर्ड जैसे नाटक या निर्देशक का नाम हिंदी में डालकर प्रेस करें. 2 सेकेंड में आपके पसंद का पोस्ट मेन पेज पर खुलेगा.
कोई जानकारी चाहिए तो hemantdas+2001@yahoo.com पर इमेल करें. 

निर्देशक थे शुभ्रो भट्टाचार्या.







Friday 1 December 2017

1 दिसम्बर और उसके बाद के पटना में कुछ आगामी नाटक












" नाद की नवीनतम प्रस्तुति "
नाटक --- husband wife and virus 
लेखक --- अभिषेक चौहान 
संगीत , परिकल्पना एवं निर्देशन - मोo जॉनी 
कलाकार---अदिति सिंह ,अभिषेक चौहान ,कुणाल कुमार 
प्रस्तुति --- नाद , पटना
दिनांक --- 01 दिसंबर 2017
संध्या --- 6:35
स्थान --- प्रेमचन्द रंगशाला ( पटना )
('नाद' प्रस्तुति की संबंध में जानकारी/ साभार- रुबी खातुन)




Tuesday 28 November 2017

निर्माण कला मंच द्वारा 'धरती आबा' का मंचन 26.11.2017 को पटना में सम्पन्न

To read the review of this play with many more pictures please click here-  https://biharidhamaka.blogspot.in/2017/11/nirman-kala-manch-staged-dharati-aba-on.html

स्थानीय प्रेमचंद रंगशाला में डिवाइन सोशल डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशन द्वारा पांच दिवसीय नाट्योत्सव रंग ए विभूति कार्यक्रम के अंतर्गत रंग ए संजय का शुभारम्भ हुआ। आज पहले दिन निर्माण कला मंच,पटना द्वारा हृषिकेश सुलभ लिखित नाटक धरती आबा की प्रस्तुति के साथ नाट्योत्सव का पर्दा उठा। 




संजय उपाध्याय ने इसका निर्देशन किया है । यह नाटक स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के जीवन एवं कार्यो पर आधारित है बिरसा का जीवन संघर्ष का पर्याय है। पहले वह अपने मिशन स्कूल में मुंडाओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणियों का विरोध करता है और स्कूल छोड़ देता है। जंगल के निवासियों के जीवन के दुःख उसे लगातार परेशान करते हैं और वह मुंडाओं को नई जीवन पद्धति तथा सामाजिक आर्थिक व्यवस्था की ओर ले जाता है। धीरे-धीरे वह मुंडाओं के भीतर गुलामी से लड़ने के लिए साहस और भूख पैदा करता है। पहले से चला आ रहा सरदार मुंडाओं के आंदोलन को बिरसा विदेशी शासन से मुक्ति के संघर्ष में बदल देता है।सूखा,अकाल, भूख एवं महामारी से जूझते हुए ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती देने वाले मुंडाओं के नायक बिरसा की मृत्यु जेल में होती है। तमाम सरकारी अभिलेखों में दर्ज तथ्यों पर आज भी जनता विश्वास नहीं करती। धरती आबा नाटक बिरसा मुंडा के व्यक्तित्व और उलगुलान आंदोलन के माध्यम से हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के कई ऐसे पन्नों को खोलता है जिसमें समाज के अंतिम कतार में खड़े मनुष्य की चेतना शामिल है। जहाँ नाटक में अभिनेताओं ने बेहतरीन काम किया वहीं नेपथ्य में  संजय उपाध्याय का संगीत और विजेन्द्र कुमार टॉक की प्रकाश परिकल्पना ने प्रस्तुति को और प्रभावी बनाया। भाग लेने वाले कलाकारों में सुमन कुमार, आदिल रशीद, पप्पू ठाकुर, शारदा सिंह, उत्तम कुमार, कृष्णा कुमार,अभिषेक आनंद, रुबी खातून,विनीता सिंह, कुमार उदय सिंह, जय कुमार भारती, बृजेश शर्मा, ऋषिकेश झा, स्वरम उपाध्याय, सत्यप्रकाश, पुरुषोत्तम कुमार, शिवा कुंदन, आदित्य थे। मंच परे कलाकारों में हारमोनियम- मोहम्मद जानी, ढोलक-राजेश रंजन, मांदर- बनफूल नायक, बांसुरी-मोहम्मद नूर, मंच परिकल्पना-प्रबोध विश्वकर्मा ,रूप सज्जा-जितेंद्र कुमार जीतू का था।
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आलेख- राजन कुमार सिंह







Monday 27 November 2017

बिहार नाट्यकला प्रशिक्षनालय, पटना द्वारा नाटक 'आविष्कार जूते का' मंचित पटना में 26.11.2017 को

स्थानीय कालिदास रंगालय में बिहार आर्ट थिएटर द्वारा आयोजित उत्सव मौसम 2017 के दूसरे दिन बिहार नाट्य कला प्रशिक्षणालय की प्रस्तुति नाटक 'आविष्कार जूते का' का मंचन किया गया। रविंद्र नाथ टैगोर की कविता जूता आविष्कार पर आधारित इस नाटक का परिकल्पना एवं निर्देशन किया है अशोक घोष ने। राजा होबूराय एक बहुत ही मुर्ख राजा है, वह हमेशा अपनी तारीफ सुनना पसंद करता है । अपने विलास में सज-धज कर रहता है और दोनों पांव नग्न रहते हैं। अचानक एक दिन महारानी इस बात का उसे आभास दिलाती है और कहती है कि वह अपने मंत्रियों से पैरों को ढकने और उन्हें दूर से बचाने का कोई उपाय खोजने को कहे। राजा अपने राजमहल के सारे मंत्रियों और विद्वानों को इसके लिए आदेश देता है। सारे मंत्रीगण चिंतित हो जाते हैं और विद्वानों को भी बुलाते हैं पर उन में से कोई भी इस समस्या का हल नहीं निकल पाता। अंततः एक बूढा चर्मकार इस समस्या का हल निकालता है और जूते का आविष्कार करता है ।इसके लिए राजा उसे अपने राज्य का सबसे उच्च सम्मान चरणरत्न की उपाधि से सम्मानित करता है। भाग लेने वाले कलाकारों में रोशन कुमार पांडेय, आकांक्षा कुमारी, आयुषी, अभिषेक पांडेय, कुणाल सत्यम, मोहम्मद राज, राहुल कुमार, अभिषेक कुमार, आशुतोष कुमार झा,चंदन कुमार, दीपक कुमार सिंह, आदर्श सुगम, सोनू कुमार, प्रिंस श्री, समर्थ चौधरी, रवि रंजन सिंह, रवि आनंद, श्रीलाल देशमुख, मनीष कुमार, रवि आनंद, राजीव कुमार, श्रीलाल देशमुख, कृतिका गुप्ता, रवि आनंद, आकाश कुमार थे। मंच परे कलाकारों में मंच परिकल्पना-प्रदीप गांगुली,प्रकाश परिकल्पना-उपेंद्र कुमार,संगीत एवं ध्वनि- राहुल कुमार,रूप सज्जा- शशांक घोष का था।
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रिपोर्ट का आलेख - राजन कुमार सिंह

Friday 24 November 2017

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय,दरभंगा द्वारा अभिनय का एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत


#अभिनेताओं_के_लिए_आवश्यक_सूचना!
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय,दरभंगा द्वारा अभिनय का एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत की गई है। #अनिवार्य_कागजात_एवं_योग्यता_इस_प्रकार_है:--
1. इंटर पास होना आवश्यक है।
2.उम्र प्रमाण पत्र हेतु मैट्रिक का प्रमाण पत्र।
3.पासपोर्ट साइज 3 फ़ोटो।
4.शुल्क 10,000 रु0
......................
विभाग द्वारा इस कोर्स के लिए समुचित व्यवस्था की गई है। और आवश्यकतानुसार कार्यशालाओं की व्यवस्था दक्ष प्रशिक्षकों द्वारा बुलाकर निश्चित की जाएगी।
नोट :--#प्रमाण_पत्र_UGC_से_मान्यता_प्राप्त_होगी
नामांकन जारी है...
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें :- 9430063265

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आलेख- राजन कुमार सिंह

प्रसिद्ध रंगकर्मी संजय उपाध्याय के निर्देशन में 'बिदेसिया' और अन्य नाटकों का उज्जैन एवं इंदौर में प्रदर्शन 6 से 15 दिसम्बर को

हबीब तनवीर, बंसी कौल और रंजीत कपूर के बाद देश के जानेमाने नाट्य निदेशक और रंग संगीत के जादूगर संजय उपाध्याय पर केन्द्रित "रंग संजय" का आयोजन पटना, उज्जैन और इंदौर में होने जा रहा हे । 

आयोजक द्वारा सभी दर्शक इन कार्यक्रमों में आमंत्रित किये गए हैं. 





(रुबी खातुन के फेसबुक वाल पर दी गई जानकारी के आधार पर उनकी अनुमति से ब्लॉग द्वारा प्रकाशित)

Wednesday 22 November 2017

'जन-विकल्प,सीतामढ़ी' के कलाकारों द्वारा 'देसी मुर्गी बिलायती बोल' 22.11.2017 को पटना में मंचित


कालिदास रंगालय में जन-विकल्प, सीतामढ़ी के कलाकारों द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से अरुण कुमार श्रीवास्तव के निर्देशन में नाटक देशी मुर्गी बिलायती बोल का मंचन किया गया। टैगोर की इस कहानी का नाट्य-रूपांतरण मृत्युंजय शर्मा ने किया। आज की पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित युवावर्ग और अपने पति को परमेश्वर समझने वाली भारतीय महिला पर केन्द्रित यह नाटक अनाथबंधु और बिंध्यवासिनी पर केन्द्रित है। अनाथबंधु अपने चार भाईयों में दूसरा है। वहीं विंध्यवासिनी एक बड़े जमींदार घर की लड़की है। इन दोनों की शादी हो गई है और अनाथबंधु ससुराल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। उनका मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता। वो इस देश को छोड़ विदेश चले जाना चाहते हैं। उन्होंने कई नौकरियां भी छोड़ दी है। एक बार वो अपने ससुर राजकुमार बाबु का पैसा चुराकर विदेश चले जाते है, जिसका गुनाह बिन्ध्यवासिनी अपने उपर ले लेती है। समय बीतता है और एक दिन राजकुमार बाबु का पूरा परिवार हादसे का शिकार हो जाता है और वो अपने एकलौती बेटी को अपना लेते हैं। एक दिन तार आता है कि अनाथबंधु बैरिस्टरी पास करके वापस आ रहे हैं, तो उनके शुद्धिकरण के लिए राजकुमार बाबु पूजा-पाठ और अनुष्ठान का आयोजन करते हैं, ताकि उनके पाप को धो उनको अपनाया जा सके। लेकिन वह विदेश से एक नई लड़की के साथ विवाह करके आते हैं। सभी ठगे रह जाते हैं। इस कथ्य को पारंपरिक तौर पर मंच लाने की कोशिश निर्देशक ने की है। कथ्य को 70 के दशक के समय में हीं कहने की कोशिश की गई है। मंच पर कलाकारों में समीर रंजन, यूरेका किम, ज्ञान पंडित, सरिता कुमार, नीतिश प्रियदर्शी, रीना कुमारी, अभिषेक पाण्डेय, रौशन कुमार केशरी, गौतम कुमार, प्रग्यांशु शेखर और अदिति सिंह ने विभिन्न किरदारों को निभाया।  मंच परे कलककरों में प्रकाश परिकल्पना राजन कुमार सिंह , मंच परिकल्पना प्रदीप गांगुली ,वेश-भूषा एवं रूप-सज्जा सरिता कुमारी । प्रस्तुति में रौशन राज, राज पटेल, विक्की राजवीर आदि का सहयोग रहा। प्रस्तुति प्रभारी मृत्युंजय शर्मा थे।







Tuesday 21 November 2017

'देसी मुर्गी विलायती बोल' का मंचन 22 नवम्बर को होगा

*आमंत्रण!!!*

नाटक :- देशी मूर्गी बिलायती बोल

दिनांक :- 22 नवंबर, 2017
स्थान:- कालिदास रंगालय, पटना
समय :- संध्या 7 बजे।
हमारे नाट्यदल जन-विकल्प, सीतामढ़ी के इस आगामी नाटक का निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी अरुण कुमार श्रीवास्तव करेंगे। ये नाटक टैगोर की कहानी पर आधारित है, जिसका नाट्य-रूपांतरण मृत्युंजय शर्मा ने किया है। वैसे इस नाटक का मंचन छः वर्ष पूर्व कालिदास रंगालय, पटना में और पुनः दूरदर्शन के लिए भी मंचित हुई , जिसके कई प्रदर्शन भी प्रसारित हुए। ज्ञात हो कि पटना के युवा रंगकर्मी अमित को हम इस नाटक के माध्यम से श्रद्धांजलि देंगे।
ये नाटक पाश्चात्य संस्कृति के प्रति युवाओं के आकर्षण को टैगोर के नजरिये से दिखाने की हमारी कोशिश होगी। आप सभी कल सादर आमंत्रित हैं।
.........
(- राजन कुमार सिंह)







Sunday 19 November 2017

'आधे पूरे अर्धनारीश्वर' का मंचन

स्थानीय प्रेमचंद रंगशाला में अनु आनंद फाउंडेशन द्वारा चार दिवसीय नाट्य उत्सव के तीसरे दिन अनवरत थियेटर फाउंडेशन,मुंबई ने कुलविंदर बख्शीश द्वारा लिखित एवं निर्देशित नाटक आधे पूरे अर्धनारीश्वर का मंचन किया। इस नाटक में पिरोई हुई प्रेम कहानी के सूत्रधार नायक के गुरु हैं। एक रंगकर्मी और एक लड़की की असाधारण प्रेम कहानी है। महादेव शंकर की आधी प्रतिमा पुरुष की है और आधी स्त्री की। ये एक अनोखी घटना है। जीवन का परम रहस्य है अर्धनारीश्वर। आपका आधा व्यक्तित्व आधी ऊर्जा स्त्री है और आधी पुरुष। ये धारणा पचास हजार साल पहले योगियों द्वारा शंकर की प्रतिमा में स्थापित कर दी गई थी। जब योगी भीतर लीन होता है तब अनुभव करता है कि मैं भीतर दो हूँ। स्त्री चेतन तो पुरुष अवचेतन। हम बाहर तो खोज रहे हैं पर भीतर की स्त्री हमें पता नहीं और वह बाहर खोज रही है अंदर के पुरुष का पता नहीं। हमने स्वयं को अस्तित्व से काट कर अलग कर लिया। नाटक प्रेम का मूल अर्थ समझाता है। यह नाटक स्त्री और पुरुष दोनों के प्रेम को मंच पर दिखाने के साथ-साथ गुरु को भी शिक्षा का स्रोत साबित करने में सफल रहा । भाग लेनेवाले कलाकारों में कुलविन्दर बख्शीश, विजय कुमार,महक जैन, तनाशा, तनिष्क सिंह, रोहित सोनी,दीपक झमलकर, सागर कुमार, रूबल बेनीवाल,असिम अहमद, निखिल पूरी आशीष कुमार,शशांक चतुर्वेदी, दिव्या और चांदनी थे।
     रंगशाला के परिसर में माध्यम फाउंडेशन ने धर्मेश मेहता के निर्देशन में नुक्कड़ नाटक कफन के बाद का मंचन किया। भाग लेने वाले कलाकारों में शैलेंद्र कुमार,धर्मेश मेहता, राकेश कुमार, मिथिलेश सिन्हा, दीपक कुमार, मीना गुप्ता,अजय कुमार,अभिनव कुमार, कंचन वर्मा, दीपक कुमार थे। दूसरा नाटक रंग समूह,पटना द्वारा सिक्योरिटी गार्ड की बहाली उदय कुमार सिंह के निर्देशन में किया गया।
   राजन कुमार सिंह

'गॉड इज़ डेड' का मंचन

स्थानीय प्रेमचंद रंगशाला में अनु आनंद इंटरटेनमेंट द्वारा आयोजित चार दिवसीय नाट्योत्सव का समापन साई प्रोडक्शन, मुम्बई के नाटक गॉड इस डेड के साथ हुआ। इसका निर्देशन नवजोत सिंह ने किया। नाटक आत्म हत्या जैसे गंभीर विषय पर जीवन के कई पहलू को छूता हुआ जवाब देता है। जो आदमी अस्तित्व के साथ अपने गहरे सम्बन्ध के बारे में जानता है, वह अस्तित्व के खिलाफ, जीवन के खिलाफ,स्वयं के खिलाफ,कुछ भी बुरा या गलत नही कर सकता।  मुख्य पात्र माधव काका जो कि एक सिक्युरिटी गार्ड हैं को कृष्ण के प्रतिबिम्ब के रूप प्रस्तुत किया गया है। जो घटना क्रम में आत्महत्या करनेवालों को बचाते और खुद को उसकी जगह आत्महत्या करते हैं। अश्वथामा का ब्रम्हास्त्र चलाना और गांधारी के कृष्ण को शाप के बहाने दिखाया गया कि महाभारत के युद्व से आजतक सभी मरने वालों में ईश्वर स्वयं हैं। भाग लेनेवाले कलाकारों में कुलविन्दर बक्शीश, विजय कुमार,महक जैन,तनाशा,तनिष्क सिंह, रोहित सोनी,दीपक समलकर, सागर कुमार,रूबल बैनीवाल,आसिम अहमद,निखिल पूरी,एहमर,आशीष ,शशांक चतुर्वेदी थे। इस गंभीर नाटक के दौरान दर्शकों का बेवजह ताली बजाना नाटक की गम्भीरता को खत्म कर रहा था।  आयोजक के ढीलेपन की अव्यवस्था पूरे आयोजन में साफ नजर आ रही थी। जमीनी स्तर पर भी काम करने की आवश्यकता है। संस्थान के अध्यक्ष बिमल कुमार ने सभी निर्देशक को संस्थान की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किया। वही सचिव मणिकांत चौधरी ने अगले वर्ष पुनः आयोजन करने की बात कही। संयोजक शैलेश जामियार ने दर्शकों और भाग लेनेवाले कलाकारों का धन्यवाद ज्ञापन किया। मंच नाटक से पूर्व रंगशाला परिसर में शारदा सिन्हा के निर्देशन में नुक्कड़ नाटक औरत का मंचन किया भाग लेनेवाले कलाकारों में रूबी खातून, बिनीता सिंह,शुभागी सिंह,ऋषिकेश झा,राजीव राय, सौरभ कुमार,और शैलेश कुमार थे। मंच संचालन शिल्पी शालिनी ने किया।
 राजन कुमार सिंह

Tuesday 14 November 2017

Saturday 28 October 2017

मुख्य पेज पर नाटक समीक्षाओं की सूची (Index of drama reviews on the Main page)

Note- This list is incomplete. Actually, there are more drama-reviews there.
नोट - यह सूची अधूरी है. इससे ज्यादा Drama-review के लिए बिहारी धमाका के Main page पर दिये गए Search box में नाटक / निर्देशक या कलाकार का नाम टाइप कीजिए.

मिथिलेश कुमार सिंह द्वारा निर्देशित नाटक 'मज़हबी' का मंचन 13.11.2017 को संपन्न 

https://biharidhamaka.blogspot.in/2017/11/13112017.html

'Aakaar' staged the play'Ya Devi Sarv Bhuteshu' in Patna on 15.10.2017

 http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/10/aakaar-staged-playya-devi-sarv-bhuteshu.html



Mithilangan, Delhi staged 'Raja Salahes' successfully on 9.9.2017 

मंच द्वारा मगही नाटक 'चंडी का वशीकरण' की सफल प्रस्तुति पटना में  (link below)

http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/09/blog-post_10.html

आयकर मंडली द्वारा 'पप्पू पास हो गया' नाटक का मंचन 15 अगस्त को पटना में सफलतापूर्वक संपन्न  (link below)

आयकर मंडली द्वारा 'पप्पू पास हो गया' नाटक का मंचन ...


(link below)



(link below)



(link below)

Thursday 5 October 2017

बिहार के सभी विद्यालयों में हो नाटक की पढ़ाई!

पटना में रंग सत्याग्रह का चौथा दिन


स्थानीय प्रेमचंद रंगशाला परिसर में चल रहे रंगकर्मियों के सत्याग्रह के चौथे दिन भी आंदोलन को भरपूर समर्थन मिला।  सत्याग्रह के तीनों मांगो को लेकर बिहार के अन्य जिलों से कलाकारों का सक्रिय सहयोग के संदेश आ रहें हैं। वो अपनी प्रस्तुति लेकर पटना पहुंचेंगे। मांगो में बिहार के सभी सरकारी एवं निजी विद्यालयों के नाट्य शिक्षकों की नियुक्ति हो।नाट्य विद्यालय की स्थापना हो आदि शामिल हैं। वक्ता प्रो0 जावेद अख़्तर खां ने संबोधित करते हुए कहा कलाकार देश और भाषा की  सीमाओं से परे होते हैं। कलाकारों को सुविधाएं मिलनी ही चाहिए,क्योंकि वो अपने कला के माध्यम से सभ्यता और संस्कृति को जीवित रखने हैं। विश्वविद्यालयों में नाट्यशास्त्र की पढ़ाई होनी ही चाहिए। सत्याग्रह की मांगे जायज़ और ज़रूरी है। एक नौजवान जो कला के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहता है, उनको जीवनयापन का साधन भी इसी क्षेत्र में मिलना चाहिए। नाटक एक दूसरे के साथ रहना भरोसा करना और अनुशासन भी सिखाता है। महात्मा गांधी के सत्याग्रह को स्वक्षाग्रह में बदलने की साजिश चल रही है, इसे समझने की ज़रूरत है। हमारी मांगे तो बेशक सरकार से है लेकिन इसको जनता से जोड़ने की ज़रूरत है। क्योंकि जब जनता से आवाज उठने लगी तो मांगो के पूरे होने में ज्यादा देर नही लगेगी

 इसके बाद हिरावल,पटना द्वारा जनगीतों की प्रस्तुति की गई। भाग लेनेवाले कलाकारों में संतोष झा,समता राय, सुमन कुमार,रामकुमार, राजन,अन्नू कुमारी, जहाँगीर,राहुल कुमार रवि, रोहित चंद्रा,राहुल कुमार राज, वसुधा कुमारी ,मुन्नी कुमारी,कुणाल कुमार, उत्तम कुमार, दीपक पंडित,सूरज कुमार, राहुल राजदान,रवि वर्मा, रमेश कुमार रघु,अंकेश राज, रोहित कुमार ,मृत्युंजय कुमार, आदित्य कुमार, पवन कुमार ,राजू, सनी राज,विशाल कुमार गुप्ता, विजय आनंद ,अविनाश कुमार। नाल सुधांशु आनंद, इफेक्ट अभिषेक राज,अंजनी अभिषेक आनंद थे।

 इसके बाद ग्रीन रूम, जहानाबाद द्वारा रजनीकांत पाण्डेय के निर्देशन में नाटक 'फंस गया बुधिया चक्कर में' का मंचन किया गया। भाग लेनेवाले कलाकारों में आज़ाद शक्ति,ओम कपूर,सुभाष चंद्रा,रजनीकांत, माधुरी शर्मा, दिलीप कुमार पाण्डेय, हर्ष आज़ाद थे। संगीत रवि मिश्रा का था। मंच संचालन रवि कांत सिंह ने किया। आयोजक समीर कुमार एवं रौशन कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

आज वक्ता के रूप में देश के ख्याति प्राप्त लब्धप्रतिष्ठ निर्देशक परवेज़ अख़्तर एवं श्री क्षितिज प्रकाश होंगे और वैशाली कला जत्था द्वारा लोकगीतों की प्रस्तुति होगी एवं इप्टा,पटना द्वारा नाटक खुदा हाफिज का मंचन होगा।
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(- राजन कुमार द्वारा प्रेषित)
राजन कुमार सिंह बिहार के एक स्थापित रंग निर्देशक और रंग संगठनकर्ता हैं.