Wednesday 21 March 2018

रंगम द्वारा मंचित 'अकेली' के कलाकारों के कुछ समूह चित्र


   



प्रस्तुति - रंगम , पटना
नाटक – अकेली लेखक - सआदत हसन मंटो
परिकल्पना एंव निर्देशन - संतोष कुमार उर्फ रास राज़ सहयोग - संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ।
कथासार
सोने - चांदी के चोर मोहन के साथ घर से भागी हुई सुशीला । जब रेलवे स्टेशन पर सुशीला के गहने चुराकर उसे अकेली छोड़ भाग जाता है । उसी रेलवे प्लेटफ़ॉमफ पर एक दौलतमंद शख्स किशोर से मुलाक़ात होती है और सुशीला को किशोर का सहारा मिलता है । सुशीला चाहती है कि किशोर उसे वो प्यार दें जो एक औरत जिसकी एक औरत की जिन्दगी में ज़रूरत होती है जिससे वो सम्पूर्फ होती है। लेकिन किशोर प्यार, मोहब्बत को नही मानता है । दो वर्ष गुज़रने के बाद अंततः सुशीला अपने प्यार का इज़हार करती है । किशोर यह बात कहकर टाल देता है कि "मैं तुम्हे मुहब्बत नही करता क्योंकि तुम दौलतमंद नही हो, तुम मेरी बातों का मतलब कैसे समझ पाओगी । इस बात से वो काफी आहत होती है और अपने अधूरेपन को पूरा करने की तलाश में मोती नाम के एक शख्स के संपर्क में आती है और मोती के साथ योजना बनाकर एक दिन ककशोर को छोड़कर उसके साथ भाग जाती है । जब ये बात मोती की होने वाली पत्नी चपला को पता चलता है तो वो किसी तरह सुशीला से अकेले में मिलती है और मोती के लिए भीख मांगती है । सुशीला , चपला की मुहब्बत और उसके होने वाले पति के नाते वह अपनी मुहब्बत की बलि चढ़ा देती है और कर्र सुशीला किशोर के पास आ जाती है । जब ये बात मोती को पता चलता है तो मोती सुशीला से मिलता है लेकिन सुशीला उसे बेइज्जती कर उसे दूर रहने को कहती है । इस बेइज्जती का बदला लेने के लिए वह किशोर को बर्बाद करने में लग जाता है | उसकी जो अमीरी है जिसकी वजह से सुशीला उसके पास चली आई है उसे कंगाल करने में लग जाता है । मोती बाज़ार से सारे शेयर ख़रीद लेता है और सस्ते दामों में बेच देता है , जिसकी मदद सुशीला भी करती है क्योंकि वो मोती से प्यार करती थी और किशोर बर्बाद हो जाता है ।
अंत मे सुशीला यह राज़ बताती है कि आपको बर्बाद करने में मोती का हाथ था ।अब आप बर्बाद हो चुके हैं मैं उस पर तरस खाकर ये बात आपको नही बताई। किशोर को झटका लगता है। सुशीला ये बात बता कर कहती अब मैं जा रही हूूँ । किशोर रोकता भी है कहता है अब जो तुमसे मुहब्बत हों गई उसका क्या । सुशीला कहती , माफ कीजियेगा किशोर साहब , मैं बहुत थक गई हूं . अब मैं अपनी ज़िन्दगी नए सिरे से शुरू करना चाहती हुूँ । अंततः सुशीला अकेली रह जाती है ।।

मंच पर
सुशीला – ओशिन प्रिया
किशोर – रास राज़
मोती – उदित कुमार
चपला – उज्जवला गांगुली
मदन – कुणाल सत्यन
नया आदमी – मनीश महिवाल
झाल-मुडी – संतोष राजपूत
चाय वाला – अमोद अलबेला
डाककया – अप्रवनाश डौबररयाल
भोपुवाला व कुली - विनो कुमार
भीड़  - सदन, विशाल पांडे ,
मंच परे
उद्घोषक – विशाल ततवारी /  मंच परिकल्पना – संतोश राजपूत
वस्त्र ववन्यास – शनाया सिंह /रूप-सज्जा – उदय सागर
प्रकाश परिकल्पना एंव संचालन – राजकपूर /  रंग-वस्तु – कुनाल कुमार , मनोज राज ,
प्रचार-प्रसार– समस्त कलाकार  / संगीत व संगीत संचालन – ज्ञान पंडित
कोष प्रभार – करन राज / विडियोग्राफी – दीपू ।
फोटोग्राफी – पोस्टर फोटोग्राफी – ओसामा खान
ब्रोशर, कार्ड, पोस्टर – रनविजय एंव रास राज़ / मीडिया प्रभारी –कुणाल सिकंद, आदर्श कुमार
प्रस्तुति नियंत्रक – मनोज राज , आदर्श कुमार , अनंत कुमार तिवारी
प्रस्तुति संयोजन – रश्मि सिंह
प्रस्तुति - रंगम , पटना
आलेख – सआदत हसन मंटो
परिकल्पना एंव निर्देशन - संतोष कुमार उर्फ रास राज़
सौजन्य - संस्कृति मंत्रालय ,भारत सरकार.नई दिल्ली
आभार - कालिदास रंगालय , बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन , ओसामा खान,
अनंत कुमार तिवारी, निखिल राज़ , आदरश कुमार , मनीश  महिवाल , तमाम प्रेस प्रतिनिधि एवं अन्य रंगकर्मी ।
रंगम की अगली प्रस्तुति – PROVOKED ( BASED ON MANTO
STORIES)

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