Friday 13 April 2018

नाद द्वारा नाटक 'मृदंगिया' का मंचन 8.4.2018 को पटना में सम्पन्न

एक सर्वहारा वर्ग के परिवार की दु:ख भरी गाथा
Please click here to read the original script in English-  http://biharidhamaka.blogspot.in/2018/04/naad-patna-staged-mridangiya-on-842018.html



नाटक एक मृदंग बजानेवाले के परिवार द्वारा भोगे गए सकंटपूर्ण जीवन की एक कहानी थी। एक विधवा महिला को दो ग्रामीणों अक्सर द्वारा सताया जाता है। वह एक मृदंगिया से शादी करने का एक साहसिक कदम लेती है। फिर से शादी करने के लिए अपने फैसले दो बुरे इरादे वाले युवक जो गरीब विधवा लड़की को परेशान करते थे, द्वारा पसंद नहीं किया जाता है। शादी के बाद काफी समय तक कोई शिशु जन्म नहीं लेता है और उनकी ज़िंदगी स्थिर सी हो जाती है। दोनो गुंडे ढोलकिया जोड़े की निराशा पर खुश हैं। लेकिन जल्द ही मृदंगिया की पत्नी गर्भवती हो जाती है और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है। दोनो गुंडे मृदंगिया के परिवार में उत्तराधिकारी के आगमन पर परेशान होते हैं । वे एक कुटिल योजना बनाते हैं और संगीतकार भक्तों की एक टोली के साथ हो जाते हैं जो  नवजात शिशु को आशीष देने के लिए ढोलकिया के घर की ओर जा रहा था। भकित नृत्य के क्रम में सब सभी उत्सव में खोये रहते हैं तभी ये दुष्ट युवक शिशु को अपने कब्जे में लेकर चुपके से जहर दे देते हैं  शिशु की मृत्यु होते ही सभी दुख से विलाप करने लगते हैं। फिर भी, जब एक व्यक्ति को वहाँ आता है मृदंगिया की खोज करते हुए क्योंकि एक बूढ़े आदमी गांव में मृत्यु हो गई है और उन्हें अंतिम संस्कार के लिए ढोलकिया की आवश्यकता है। नाटक अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचता है जब मृदंगिया की पत्नी अपने मृत शिशु को गोद में लिए घोषणा करती है कि मृदंगिया गाँव के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करने हेतु बूढ़े व्यक्ति की अंतिम यात्रा में मृदंग बजाने जरूर जाएगा चाहे उसे इसके लिए अपने ही शिशु का अंतिम  संस्कार छोड़ना क्यों न पड़े। और यह वास्तव में जाता है। 

मोहम्मद जॉनी के निर्देशन को कलाकारों में से परिपक्व अभिनय से बल मिला। यद्यपि  नाटक को अति-दुख से बोझिल बनने से  बचाने के लिए और अधिक प्रयास किए जा सकता था। अभिनेताओं के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। लाइट बिना किसी विलम्ब के तुरंत और सही स्थान पर केंद्रित था और ध्वनि प्रणाली अच्छी तरह से काम किया। मृदंगिया ने एक परिपक्व कलाकार की तरह काम किया, जबकि सम्भवत: पहली बार अभिनय कर रहे थे मंच पर। मृदंगिया की पत्नी बनी रुबी खातून एक स्थापित अभिनेतत्री है जो सम्वाद अदाएगी और शारीरिक भंगिमा के माध्यम से अभिनय को निभाने में बिलकुल नहीं चूकीं। गुुुंडों की मुखाकृति और अभिव्यक्त भाव प्रभावशाली थे और अति-घुणित चरित्रों का निर्वाह करने के बावजूद दर्शकों द्वारा ताली बटोरने में सफल रहे। ग्रामीणों ने अपने पात्रों के साथ न्याय किया है। संगीत मोहम्मद जॉनी द्वारा मधुर निर्मित था और दर्शकों ने शुद्ध बिहारी लोक संगीत के स्वाद को चखने का जीभर कर आनंद लिया।  मंच सज्जा और रूप सज्जा आवश्यकता के अनुरूप थे
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आलेख- हेमन्त दास 'हिम'/ संजय कुमार



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