Saturday 5 January 2019

इन्किलाब जिंदाबाद का पटना में 04.01.2019 को प्रस्तुत हुआ

बेडियाँ


04.01.2019 को परिकल्पना मंच के द्वारा  नाटक - इन्क़लाब ज़िन्दाबाद क मंचन एनआईटी घाट, पटना पर प्रदर्शन  किया गया जिसका आलेख  तैयार किया था गुरुसरण सिंह ने और निर्देशक थे सुभाष कुमार.

गुलाम भारत और अंग्रेज सरकार की हुकूमत के दौर में देश को आज़ाद होने तक कि जो कहानी है। जिसमे हम आज़ाद तो हैं, परंतु आज़ादी का क्या मतलब होता है! इसके चित्रण किया गया है। क्रांतिकरी भगत सिंह और उनकी साथियों ने जो देश के लिए जिस तरह से अपनी कुर्बानी दी उसका प्रभाव पूरे भारत मे बच्चा बच्चा उनके रास्ते पर चलने को राजी हो गया और देश को एक अलग क्रंति की राह दे दी।

"सरफ़रोशी की तम्मना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाजुए कातिल में है"

देश को आज़ाद हुए आज 71 साल हो गया, लेकिन देश मे अभी भी ज्यादा बदलाव नही हुई। एक तरफ गरीब और गरीब होते चला गया और अमीर और अमीर होते चला गया। किसान, मज़दूर की वही रूप आज भी है देश मे, जिसके कारण आज भी किसान आत्महत्य कर रहे हैं! 12 से 16 घण्टे की जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी मज़दूर भर पेट भोजन नही कर पाता और अपने बच्चों को शिक्षा भी नही दे पाता है। हिंदुस्तान आज भी जंजीर में जकड़ा हुआ प्रतीत होता है। इस बेड़ियों को तोड़ने के लिए आज भी युवा वर्ग की संघर्ष जारी है। एक खुशहाल हिंदुस्तान के सपने को संजोए रखा है।

नाट्य कलाकार थे. दीपक कुमार, दिग्विजय तिवारी, प्रदुमन, लवकुश, निशांत,  विवेक और साथ में  थे राजवीर, राज शेखर,सुदीप कुमार,लाडली, रूबी और सुशील, राहुल. संगीत दिया था हीरा लाल रॉय और विवेकानंद पांडेय ने और प्रस्तुति संयोजन  था  यशवंत मिश्रा का.
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आलेख- बेजोड़ इंडिया ब्यूरो
छायाचित्र- परिकल्पना मंच
प्रतिक्रया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com





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