स्थानीय कालीदास रंगालय में अदब,पटना द्वारा संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार के
सौजन्य से मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'लांछन' का मंचन किया गया। नाट्य
रूपांतरण, परिकल्पना एवं निर्देशन
आदिल रसीद ने किया है। श्याम किशोर बाबू एवं देवी परम्परागत सामाजिक मान्यताओं में
जकड़े दम्पति हैं। मुन्नू मेहतर के रूप मे
दोहरा चेहरा लिए पात्र दोनों दम्पति के बीच शक पैदा करता है। पड़ोसी रज़ा
मियां मुन्नू के जरिये अपनी चाल में कामयाब होता है। बेटी शारदा की मृत्यु से
शोकाकुल श्याम किशोर लगातार अपनी पत्नी पर लांछन लगाने से भागने पर फाँसी लगा लेता
है।
इसे निर्देशकीय चूक ही कही जा सकती है जिसमें कथ्य और परिकल्पना में तारतम्यता
न होने के कारण नाटक पूरी तरह संप्रेषित न हो सका। संगीत भी अपना प्रभाव छोड़ने में
नाकामयाब रहा वहीँ प्रकाश संचालन में चूक हो रही थी।
मंच पर भाग लेनेवाले कलाकारों में संतोष मेहरा अपने चरित्र के साथ न्याय करते
दिखे वहीं अदिति सिंह,सत्यजीत केशरी
प्रयासरत दिखे। साथ में चंदन यादव,अजय तिवारी,राहुल कुमार,दुर्गेश कुमार,अजय कुमार थे। मंच परे कलाकारों में प्रकाश- संजय सिंह,रूप सज्जा- जितेंद्र कुमार,ध्वनि संयोजन- अर्चना सोनी, संचालन-अंजारुल हक़,वेश-भूषा-सायबा रज़ा,शबाना रिज़वान थे।
आलेख - राजन कुमार सिंह
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