आदिशक्ति प्रेमनाथ खन्ना स्मृति समारोह में पुस्तक लोकार्पण और नाटक का मंचन
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Monday, 4 August 2025
ममता मेहरोत्रा लिखित और 27.7.2025 नाटक 'घूस' के कलाकार और अतिथिगण
'रंगम' के नाटक "बिहाइंड दी रीड्स" का मंचन दिनांक 3.8.2025 को प्रेमचंद रंगशाला पटना में हुआ
प्रेम का दुखांत
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के सहयोग से रंगम द्वारा दिनांक 3 /08/ 25 को प्रेमचंद रंगशाला में शाम 7 बजे सआदत हसन मंटो की कहानी बिहाइंड द रीड्स का मंचन हुआ । जिसका नाट्यरूपांतरण , परिकल्पना एंव निर्देशन रास राज़ ने किया ।
सआदत हसन मंटो की कहानी "सरकंडों के पीछे" पर आधारित नाटक का नाट्यरूपांतरण, परिकल्पना एंव निर्देशन रास राज़ का था । प्रकाश परिकल्पना विनय कुमार की थी एवं संगीत स्वप्निल राज ने दिया ।
सआदत हसन मंटो का अफसाना बिहाइंड द रीड्स एक गहन और दुखांत कहानी है, जो मानवीय भावनाओं, प्रेम, विश्वासघात, और अपराधबोध के जटिल पहलुओं को उजागर करती है। यह कहानी सामाजिक ताने-बाने में देह व्यापार, गरीबी, और नैतिकता के सवालों को भी छूती है।
यह कहानी फिजा (पूजा गुप्ता ) नाम की एक लड़की की है, जो अपनी मां आबिदा ( रेनू सिन्हा ) के साथ सरहद के पास रहती है और गरीबी के चलते देह व्यापार करती है। एक दिन राशिद (रास राज) नाम का युवक आता है, जो फिजा से हमदर्दी और फिर मोहब्बत जताता है। वह उसकी मां को पैसे देकर कहता है कि फिजा के पास अब कोई और मर्द न आए। माँ मान जाती है | फिजा को पहली बार सच्चा प्यार महसूस होता है। धीरे धीरे दोनों का प्रेम बढ़ता जाता है | राशिद उससे निकाह और कंगन देने का वादा करता है, लेकिन फिर वो कई दिनों तक लौटकर नहीं आता। इस वजह से फिजा की हालत ख़राब हो जाती है न खाती है न कुछ पीती है सिर्फ राशीद का इंतज़ार करती रहती है | जब वह वापस आता है, तो साथ में एक महिला शाहिना ( पूजा भाष्कर ) होती है, जो खुद को उसकी बहन बताती है। शाहिना फिजा को सजाने के बहाने अकेले में ले जाकर उसकी बेरहमी से हत्या कर देती है, क्योंकि वह राशिद से जुनूनी प्यार करती है और फिजा को बर्दाश्त नहीं कर पाती। राशिद जब यह देखता है तो दुख और गुस्से में शाहिना की भी हत्या कर देता है और खुद को सारी तबाही का जिम्मेदार मानता है। अंत में, फिजा की आत्मा प्रकट होकर ऊसके पास आती है और कहती है –राशिद मैं तुम्हें फिर मिलूंगी, कब कहाँ कैसे पता नहीं, लेकिन मैं ज़रूर मिलूंगी राशिद।
मंच पर अभिनय करनेवाले कलाकार थे पूजा गुप्ता (फिजा) , रेनू सिन्हा (आबिदा), रास राज (राशिद खान), पूजा भास्कर (शाहिना), संजीव कुमार (फ़ौजी), जय राठौर (आफताब), हर्ष राज (गुलशन), कमलेश वनवासी (असलम)। सह निर्देशन निहाल कुमार दत्ता का था, वेशभूषा उदय सागर ने तैयार की थी । वस्त्र विन्यास निभा, आदर्श कुमार ने किया था।
सेट निर्माण सुनील जी ने और सेट डिजाइन पिंकू राज ने किया। मंच परे अन्य कलाकारों में परमिन्द्र सिंह सांगा, दीपक कुमार, आदित्य शर्मा, रश्मि सिंह, कृष्णा किंचित, मनोज राज, मनीष महिवाल। प्रयास रंगमंडल एवं प्रयास रंग अड्डा, राजेश कुमार, अनुपमा पाण्डेय, किसलय पटना, राधा फिल्म प्रोडक्शन का भी महत्वपूर्ण सहयोग रहा ।
Sunday, 9 April 2023
नाटकोंं की आर्थिक स्वतंत्रता के उपाय
जो फिल्म देखने के रु.300 देते हैं क्या वे नाटक देखने के रु. 50 नहीं दे सकते?
रंगकर्म की लोकप्रियता और प्रसार में वृद्धि के लिए यह अत्यावश्यक है कि लोगों को टिकट लेकर नाटक देखने के लिए प्रैरित और मजबूर किया जाय. फ्री में दिखाना बंद कीजिए चाहे दर्शक कितने भी कम क्यों न हों. हाँ, टिकट का मूल्य कम या अधिक किया जा सकता है मांग के आधार पर. मुम्बई में मैं कई वर्षों से नाटक देख रहा हूँ. रु. 300 से कम का टिकट नहीं मिल पाता है अक्सर. रु. 500 और रु. 700 के टिकट भी खूब बिकते हैं. पर दिल्ली में, अहमदाबाद में या भारत के अन्य शहरों में नाटक के टिकट का मूल्य रु. 100 से रु. 200 तक अधिकतर रहता है जैसा मुझे लगता है. जो लोग मॉल में फिल्म देखने पटना में 300 रुपये दे सकते हैं वे क्या नॉन-एसी हॉल में नाटक देखने के रु. 50 और एसी हॉल में रु. 100 या उससे कुछ अधिक नहीं दे सकते? नहीं दे सकते तो वे नाटक देखने के लिए योग्य दर्शक नहीं हैं. नॉन एसी हॉल में सबसे पीछे की एक-दो कतारों में रु. 10 या रु. 20 के टिकट भी रख सकते हैं ताकि निर्धन भी नाटक में रूचि को कायम रख सकें. सीधा सा तर्क है कि नाटक करने में काफी खर्च आता है और रंगकर्मियों को अपने जीवन-यापन के लिए भी पैसे चाहिए जो दर्शकों से प्राप्त करने की कोशिश होनी चाहिए. प्रेक्षागृह के बाहर विभिन्न व्यापारिक संस्थानों के बैनर लगाने की एवज में उनसे पैसा लेकर भी कुछ रकम प्राप्त की जा सकती है. रंगकर्मियों का एक पैनल बनाया जाय और जो पैनल में शामिल हों उन्हें रियायती दर पर टिकट दिया जाय (सीमित संख्या में) ताकि कुछ दर्शक तो पक्के मिल ही जायें.
लेखक - हेमन्त दास 'हिम'
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी- hemantdas2001@gmail.com / editorbejodindia@gmail.com
Thursday, 30 March 2023
इतना आसां नहीं मुम्बई में नाटक देखना!
सलामत रहे मुम्बई का शानदार रंगकर्म
1. दो दिन पहले टिकट ले लीजिए नहीं तो रु.500- 700 से कम का मिलना मुश्किल।