Monday, 4 August 2025

'रंगम' के नाटक "बिहाइंड दी रीड्स" का मंचन दिनांक 3.8.2025 को प्रेमचंद रंगशाला पटना में हुआ

 प्रेम का दुखांत 


संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के सहयोग से रंगम द्वारा दिनांक 3 /08/ 25 को प्रेमचंद रंगशाला में शाम 7 बजे सआदत हसन मंटो की कहानी बिहाइंड द रीड्स  का मंचन हुआ । जिसका नाट्यरूपांतरण , परिकल्पना एंव निर्देशन रास राज़ ने किया । 

सआदत हसन मंटो की कहानी "सरकंडों के पीछे" पर आधारित नाटक का नाट्यरूपांतरण, परिकल्पना एंव निर्देशन  रास राज़ का था । प्रकाश परिकल्पना विनय कुमार की थी एवं संगीत स्वप्निल राज ने दिया ।

सआदत हसन मंटो का अफसाना बिहाइंड द रीड्स एक गहन और दुखांत कहानी है, जो मानवीय भावनाओं, प्रेम, विश्वासघात, और अपराधबोध के जटिल पहलुओं को उजागर करती है। यह कहानी सामाजिक ताने-बाने में देह व्यापार, गरीबी, और नैतिकता के सवालों को भी छूती है।

यह कहानी फिजा (पूजा गुप्ता ) नाम की एक लड़की की है, जो अपनी मां आबिदा ( रेनू सिन्हा ) के साथ सरहद के पास रहती है और गरीबी के चलते देह व्यापार करती है। एक दिन राशिद (रास राज) नाम का युवक आता है, जो फिजा से हमदर्दी और फिर मोहब्बत जताता है। वह उसकी मां को पैसे देकर कहता है कि फिजा के पास अब कोई और मर्द न आए। माँ मान जाती है |  फिजा को पहली बार सच्चा प्यार महसूस होता है। धीरे धीरे दोनों का प्रेम बढ़ता जाता है | राशिद उससे निकाह और कंगन देने का वादा करता है, लेकिन फिर वो कई दिनों तक लौटकर नहीं आता। इस वजह से फिजा की हालत ख़राब हो जाती है न खाती है न कुछ पीती है सिर्फ राशीद का इंतज़ार करती रहती है | जब वह वापस आता है, तो साथ में एक महिला शाहिना ( पूजा भाष्कर ) होती है, जो खुद को उसकी बहन बताती है। शाहिना फिजा को सजाने के बहाने अकेले में ले जाकर उसकी बेरहमी से हत्या कर देती है, क्योंकि वह राशिद से जुनूनी प्यार करती है और फिजा को बर्दाश्त नहीं कर पाती। राशिद जब यह देखता है तो दुख और गुस्से में शाहिना की भी हत्या कर देता है और खुद को सारी तबाही का जिम्मेदार मानता है। अंत में, फिजा की आत्मा प्रकट होकर ऊसके पास आती है और कहती है –राशिद मैं तुम्हें फिर मिलूंगी, कब कहाँ कैसे पता नहीं, लेकिन मैं ज़रूर मिलूंगी राशिद। 

मंच पर अभिनय करनेवाले कलाकार थे पूजा गुप्ता (फिजा) , रेनू सिन्हा (आबिदा), रास राज (राशिद खान), पूजा भास्कर (शाहिना), संजीव कुमार (फ़ौजी), जय राठौर (आफताब), हर्ष राज (गुलशन),  कमलेश वनवासी (असलम)। सह निर्देशन निहाल कुमार दत्ता का था, वेशभूषा  उदय सागर ने तैयार की थी । वस्त्र विन्यास निभा, आदर्श कुमार ने किया था।

सेट निर्माण सुनील जी ने और सेट डिजाइन पिंकू राज ने किया। मंच परे अन्य कलाकारों में परमिन्द्र सिंह सांगा, दीपक कुमार, आदित्य शर्मा,  रश्मि सिंह, कृष्णा किंचित, मनोज राज, मनीष महिवाल। प्रयास रंगमंडल एवं प्रयास रंग अड्डा, राजेश कुमार, अनुपमा पाण्डेय, किसलय पटना, राधा फिल्म प्रोडक्शन का भी महत्वपूर्ण सहयोग रहा ।                                                                                      





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