कालिदास की प्रसिद्द महाकाव्य मेघदूत पर आधारित मोहन राकेश लिखित आषाढ़ का एक दिन एक विश्वप्रसिद्ध नाटक है, जिसकी अलग-अलग समय पर अलग-अलग नाट्यदलों द्वारा मंचन और व्याख्या होती रही है । वैसे तो उपरी तौर पर इस नाटक के केन्द्र में प्रेम और विरह है लेकिन गूढ़ अर्थ में यह रचनाकार और प्रकृति, भावना और यथार्थ की एक ऐसी बौद्धिक महागाथा है, जिसमें संवेदनात्मक ज्ञान और ज्ञानात्मक संवेदना का द्वन्द साफ़-साफ़ दिखाई पड़ता है । वहीं इस नाटक के मूल में रचना, रचनाकार और उसकी प्रेरणा, अवसर और पलायन की पीड़ा और सुख भी है, तो भौतिकता और कर्तव्य का द्वन्द के बीच में उलझे मानवीय जीवन भी है । यहाँ स्वीकार का अस्वीकार और अस्वीकार का स्वीकार भी है तो एक दूसरे के प्रति मोह भी । इन सबके बीच किसी भी स्थिति में निःस्वार्थ अटल रहने का मल्लिकाई साहस भी है, जो अपने स्वार्थ से ज़्यादा महत्व भावना में भावना के वरण को देती है और तमाम चुनौतियाँ झेलते हुए अपने कर्तव्य के मार्ग से कभी भी पलायन नहीं करती ।
दस्तक पटना की प्रस्तुति
आषाढ़ का एक दिन
लेखक - मोहन राकेश
निर्देशक - पुंज प्रकाश
स्थान - कालिदास रंगालय, पटना
दिनांक - 6 अप्रैल 2019
समय - संध्या 6:30 बजे
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समाचार स्रोत - सुभाष कुमार
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