Monday 11 June 2018

एकजुट खगौल के कलाकारों द्वारा नाटक 'बेटी बियोग' का मंचन पटना में 5.6.2018 को संपन्न

कम उम्र में बूढ़े बीमार से ब्याही गई बेटी की दिल द्रवित करनेवाली दास्ताँ 




बेटी का कहीं भी विवाह कर देना काफी  नहीं होता बल्कि उसके लायक उचित दूल्हे की तलाश कर उसी से व्याह नहीं करने और कुपात्र से कर देने पर कितनी भयावह स्थिति उत्पन्न हो जाती है यह दिखता है इस नाटक मेंकला, संस्कृति एवं विभाग और बिहार संगीत नाटक अकादमी की ओर से भारतीय नृत्य कला मंदिर में आयोजित चार दिवसीय रंगयात्रा श्रृंखला के अतिम दिन नाटक बेटी वियोग का मंचन हुआ।एकजुट खगौल के कलाकारों ने भिखारी ठाकुर लिखित नाटक का मंचन अमन कुमार के निदेशन में किया गया।वहीं नाटक मे दिखाया गया कि बेटियां पराया धन है,बेटी सिर पर बोझ है इसे जैसे- तैसे जल्दी विवाह कर ससुराल भेज देना चाहिए, आदि-आदि मानसिकताएँ के कारण बेटियों को लोग बकरी जैसा समझने लगते हैं, नाटक बेटी वियोग में जहाँ एक बाप पैसे की लालच में अपनी कम उम्र की बेटी की शादी एक बूढ़े बीमार व्यक्ति से कर देता हैं।पर लालच में अंधे माँ बाप एक नहीं सुनते ।शादी के बाद बेटी विलाप करते हुए अपने पिता से संवाद करती हैं और पूछती है कि आखिर उसका कसूर क्या है भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले महान लोक नाटककार भिखारी ठाकुर की यह कालजयी रचना है।मुख्य कलाकार गणेश-समीर राज ,पंच-रौशन कुमार, चटक-प्रदीप कुमार, दुल्हा के पिता- धमेन्द्र कुमार ,लोभा-रानी सिन्हा, दुल्हा -सोनू कुमार, बेटी-मनीषा कुमारी, सखी-अपराजिता प्रियदर्शनी,लक्ष्मी प्रियदर्शनी,कोरस-राजेश शमाँ, सोनू कुमार, काजल,राहुल रंजन, पुष्पा देवी, सगीत- गायन अजित कुमार, नालवादक- दिनेश झा,नगाड़ा-कामेश्वर प्रसाद नाटक में प्रकाश पर थे ज्ञानी प्रसाद। 
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आलेख - अमन राज 
लेखक का ईमेल - kumaramanthan12@gmail.com




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